Saturday, July 16, 2016

शिक्षित औरत हाथो में बेड़िया

                                               



आँखों में खव्बो  का सागर 
दिल में उम्मीदों की धराए 
बुलंद विश्वास से  भरपूर 
छूना हैं इस  ऊँचे गगन को 
बनानी हैं अपनी एक अलग पहचान  


मेहनत की सीढ़ी है चढ़नी मुझको 
सफलता का रस है चखना मुझको 
अपनी पहचान है बननी मुझको 
सपनो की उड़न है भरनी  मुझको  


है हुनर , है जज़्बा 
और सपनो को पूरी करने की हिम्मत  
रस्ते भले हो दुविधाओं और परेशानी से भरे 
हौसले की तूफान है दिल में भरे   


खुली आँखों में  भरे हुए सपने 
पर सपनो की माँझा कही कट जाता ही 
दुनियादारी और रसमो की चट्टानें 
बस  रह जाती है गहना बनकर
सपने कही चार दिवारी में 
तोड़ लेती  है अपनी साँसे 
अपनी पहचान और व्यक्तित्व 
कही गुम  और लापता हो जाती है    


देश की बेटियों को आगे बढ़ने का मौका दो 
बुलन्दियो को छुने का मौका दो 
क्या पता अपना देश एक नयी तक़दीर लिख डाले  


कलम : श्रुति ई आर