Monday, March 4, 2013

तेरी मेरी दोस्ती

तेरी मेरी दोस्ती है उन
हिमालय पर्वत से भी ऊँची
जहाँ हिम और गगन
हाथ  मिलते है ।

तेरी मेरी दोस्ती है
सागर की गहराई से भी गहरी
जहाँ आज तक कोई
इंसान न पहुँच सका हो |

दोस्ती हमारी है उन
समुद्र  की लहरों की तरह
जो एक दुसरे के सुख-दुःख में
साथ  लहराकर बहा करती है।

तेरी मेरी दोस्ती है उन
सदाबहार वनों की तरह सदा हरित
जो जुदा होकर भी
एक दुसरे के सात होती है |

फिर न जाने कब आये  ये पतझड़
पेड़ो की पत्तो की तरह
कर दिया हमें अलग
डाल  दी दरार हमरी दोस्ती पर |

फिर पता नहीं कहा से आए
ये बिन मौसम की बरसात
वर्षा की बूंदों की तरह
जिसने मिटा दी हमारी सारी  यादे |

लेकिन फिर भी मुझे
आशा की किरण नज़र आई
फिर मैंने महसूस किया
यह सिर्फ वेहम था मेरा |

जिस तरह वर्षा के समय
पीले पल्लव लाते फिर से हरियाली
उसी तरह यह रुकवाते
बनती हमारी दोस्ती को और गहराह
इस तरह हम बंधे है
प्रेम की एक डोर  से |
  
 कलम  : श्रुति ई  आर                                                                                                                                                                                                                

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