देखो यारो देखो
आसमान को देखो
नीले बदल कैसे
रंग अपने बदले |
काले -काले मेघा
क्या लाये हो पैगाम तुम
क्या तुम बदलोगे हालत को
देकर प्यासी धरती को ठंडक |
बरसो मेघा अब तो बरसो
तरसे मनष्य ,प्यासे पंची
दूर दरिया सूख रही है
अब तो हठ छोड़ो ।
देखो तुम अब न मत कहना
तेरी राह देकते-देकते
देखो पल,दिन,महीने गुज़रे
अब न और तरसाओ हमें ।
सूखे पेड़ -पौधों को देखो
तड़पती मछली को तो देखो
करो इन पर अब तो रहमत
आँखे तरसे तुझे देखने को ।
टप -टप ,टप -टप
बरस रहा है वो
देखो कितना शीतल
हो रहा है जग ।
सबकी मन्नत ,सबकी इच्छा
पूरी कर रहा है वो
इश्वर का वरदान बनकर
अमृत बरसा रहा है वो ।
धन्य हो गई मेरी धरती
तेरी बूंदों को छूकर
अब न रूठकर जाना फिर से
आते- जाते रहा करो ।
कलम : श्रुति ई आर
No comments:
Post a Comment