दास्तान है ये
मछरो के फ़ौज की
आवारा ,निकम्मे
यारो के यारी की |
दोस्ती थी इनमें
बड़ी गहरी
मरते -जीते थे
एक दूजे के लिए ।
अपनी मर्ज़ी के मालिक
जीते है अपनी ज़िन्दगी
ऐशो ,आराम और खुशी से
करते है आवारागर्दी ।
कक्षा में हमेशा पीछे बैठते
गप -शप ,गप -शप करते रहते
एक दिन नाराज़ हुए
डाल दिया नाम इनका
नाम का जादू ऐसा चला
दोस्ती का रंग गहरा हुआ
अब उठना -बैठना साथ में
हँसना -रोना साथ में ।
घूमने गए छुट्टीयो में
और पास आये एक दुसरे के
जब जेब होने लगा खाली
एक ही थाली में खाने लगे
बड़ा पेट ,छोटा बर्तन
दिल था खुश और पेट था भरा ।
छुट्टीयो के बाद यादो को सजोये रखा
तस्वीर को दिल से लगा कर रखा
बाते -करते ,हँसते -गाते
खुशी से अपना दिन बिताते ।
एक था उसमे सबसे निराला
नन्हा -मुन्ना मजनू आवारा
कई कन्याओ के दिल में दस्तक दी
पर हाथ न आई एक भी छोरी ।
एक था सबसे मोटू उसमे
सबसे प्यारा ,सबसे नटखट
वज़न घटाने के बारे में
सोचता हर दिन पर करता नहीं ।
एक सवेरा ऐसा आया
मिला इनको एक प्यारा तोफा
शिक्षक के रूप में इन्हे मिला
एक बड़ा भाई और सच्चा दोस्त
साथ दिया उन्होंने हमेशा
दिखाया मार्ग सदा रौशनी का ।
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