मौसम का पैगाम है
मुस्कादो ज़रा दिल से
खुशिया दस्तक देगी
कुछ ही पल भर में |
छोड़ो सब काम -काज़ को
महसूस करो इन हवाओ को
जीलो ज़रा इन लम्हो को
दर्द -परेशानी से दूर
शांति भरे वातावरण में।
क्यों तुम इस भाग दौड़ में
खो रहे हो अपने आपको ,
अपने प्यारी ज़िन्दगी को
ज़रा ठहरो और देखो ज़रा
दुनिया कितनी रंगीन है ।
मदहोशी से बहती नदी को देखो,
झरनों से बहती लहरों को देखो ,
झूमती कलियों को तो देखो,
भवरो के गूँज को तो सुनो,
तितली के रंगों को तो देखो |
बरसात के बोंदो को महसूस करो ,
मिट्टी सुगंध को पहचनो ,
हर मौसम के रंग को देखो ,
हर छोटे-बड़े लम्हों को जियो
कोयल का गीत सुनो ,
प्रकृति के साथ जी कर तो देखो ।
कलम :श्रुति ई आर
No comments:
Post a Comment