आज शहर में बड़ी चहल -पहल है
लोग अपने कम-काज़ में
बड़े व्यस्त नज़र आ रहे है
तेज़ रफ्तार में चलती गाड़ी की तरह
ज़ोरो -शॊरो में भाग रहा है शहर |
बच्चे खुशी -खुशी
पाठशाला जा रहे है
माँ चहरे पर मुस्कान लिए
कर रही है विदा ।
कोई दफ्तर जा रहा है तो
कोई घर के काम में व्यस्त
कोई पढ़ने जा रहा है तो
कोई पढ़ाने जा रहा है ।
अरे अचानक से यह क्या हुआ
यह बड़ा धमाका कहा हुआ
चारो ओर चीखो की आवाज़
आँखों से आँसू और बदन से खून
लोग दर्द से रो रहे है
चारो और अंधकार छा गया है
शहर में हंगामा मच गया है ।
खून से लतपत हुई धरती
दयनीय अवस्था में
लोग चीख रहे है
कोई अपना हाथ खो चुका है तो
कोई अपने दोनो पैर
तो कोई ज़िन्दगी और मौत के बीच
कई तो ईश्वर को प्यारे हो गए है ।
अम्बुलेंज़ तेज़ी से जा रही है
सहायता का हाथ बड़ा रही है
अस्पताल और डाक्टरों से ज़्यादा
अस्पताल में पीड़ित की संख्या।
पुलिस और पत्रकारो ने
पूरे शहर को घेर लिया
आकाशवाणी और दूरदर्शन में
तबाही की खबरे
देश की जनता,
पूरा शासन परेशान
और आँखों में सबके नमी ।
आज मनुष्य ,मनुष्य की जान लेता है
कस्बा ,शहर और देश तबाह करता है
रोशनी के मार्ग से कोसो परे
अंधकार का मार्ग अपनाता है
अपने ही भाई -बहनो से जीने का हक छिनता है ।
आखिर क्यों हो रहा है यह सब ?
क्यों लोग तबाही का जशन मानाते है ?
दूसरो के आँसू का जाम क्यों पीते है ?
क्या इन्सनियात इसी को कहते है ??
कलम :श्रुति ई आर
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