छोटी सी गुड़िया बन
मै आऊँगी इस दुनिया में
किलकारियो से घर -आँगन
गूँज उठेगा |
सीने से अपने लगाना
मेरी प्यारी माँ
प्यारी-प्यारी लोरी
मुझे सुनना तुम ।
आपका हाथ पकड़कर
चलना सीखूँगी मै
आपके साथ मस्ती
करुँगी मै ।
पढ़ -लिखकर ऊँचाई छू लूँगी मै
आपका सपना पूरा करुँगी मै
और घर-परिवार में लाऊँगी रोनक मै ।
नहीं ! यह मुझे
क्या हो रहा है
मेरी साँस क्यों
थम रही है ।
क्या थी मेरी गलती ?
क्यों किया ऐसा मेरे साथ ?
मुझे इस दुनिया में आने तो देते
इस सुन्दर दुनिया का दीदर
करने तो देते ।
किस बात का था डर आपको
दहेज का या फिर किसी और बात का
माँ मै कोई बिकाऊ वस्तु नहीं
जीने का हक़ है मुझे भी ।
क्या गलत है
अगर मै कन्या हूँ
देवी माँ को तो
पूजते हो तुम
जब उनकी करते हो इज्ज़त तो
मेरी निंदा क्यों करते हो ??
कलम : श्रुति ई आर
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