Thursday, April 18, 2013

मुझे भी जीने का हक है




छोटी सी गुड़िया बन
मै  आऊँगी इस दुनिया में
किलकारियो से घर -आँगन
गूँज उठेगा |

सीने से अपने लगाना
मेरी प्यारी माँ
प्यारी-प्यारी लोरी
मुझे सुनना तुम ।

आपका हाथ पकड़कर
चलना सीखूँगी मै
आपके साथ मस्ती
करुँगी मै ।

पढ़ -लिखकर  ऊँचाई छू  लूँगी  मै
आपका सपना पूरा करुँगी मै 
और घर-परिवार में लाऊँगी रोनक मै ।

नहीं ! यह मुझे
क्या हो रहा है
मेरी साँस क्यों
थम रही है ।

क्या थी मेरी गलती ?
क्यों किया ऐसा मेरे साथ ?
मुझे इस दुनिया में आने तो देते
इस सुन्दर दुनिया का दीदर
करने तो देते ।

किस बात का था डर आपको
दहेज  का या फिर किसी और बात का
माँ मै  कोई बिकाऊ वस्तु नहीं
जीने का हक़ है मुझे भी ।

क्या गलत है
अगर मै कन्या हूँ
देवी माँ को तो
पूजते हो तुम
जब उनकी करते हो इज्ज़त  तो
मेरी निंदा क्यों करते हो ??


कलम : श्रुति  ई  आर


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