ममता का सागर
दया की धारा
प्रेम की मूरत
ऐसी है मेरी माँ |
कभी सूरज की किरणो की भांति
कभी चंदा की चाँदनी बनकर
एक छाए की तरह
सदा साथ निभाती मेरी माँ ।
कभी चट्टानों से भी कठोर
कभी मखमल की तरह कोमल
कभी शहद से भी मीठी
मेरी प्यारी माँ ।
चाहे दिन हो चाहे रात
या फिर दुखो की वृष्टि
साथ देती एक साये की तरह
बढ़ाती हौसला हर मोड़ पर ।
ज़िन्दगी के सफर में
विपत्ति की टकरार में
जब भी मेरे पैर डगमगाए
हिम्मत बढ़ाया सदा
माँ की शिक्षा ने सदा ।
कभी काले मेघों की तरह गरजती
मेरी शरारतो पर
फिर प्यार से मानती
लती चेहरे पर मुस्कान ।
ईश्वर का वरदान,
मेरी पक्की सहेली,
है अनोखी मेरी माँ ।
कलम : श्रुति ई आर
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