Thursday, April 11, 2013

मेरी माँ


ममता का सागर
दया की धारा
प्रेम की मूरत
ऐसी है मेरी माँ |

कभी सूरज की किरणो की भांति
कभी चंदा की चाँदनी बनकर
एक छाए   की तरह
सदा साथ निभाती मेरी माँ ।

कभी चट्टानों से भी कठोर
कभी मखमल की तरह कोमल
कभी शहद से भी मीठी
मेरी प्यारी माँ ।

चाहे दिन हो चाहे रात
या फिर दुखो की  वृष्टि
साथ देती एक साये की तरह
बढ़ाती हौसला हर मोड़ पर ।

ज़िन्दगी के सफर में
विपत्ति की टकरार में
जब भी मेरे पैर डगमगाए
हिम्मत बढ़ाया  सदा
माँ की शिक्षा ने सदा ।

कभी काले मेघों की तरह  गरजती
मेरी शरारतो पर
फिर प्यार से मानती
लती चेहरे पर मुस्कान ।

ईश्वर का वरदान,
मेरी पक्की सहेली,
है अनोखी  मेरी माँ ।

कलम : श्रुति  ई  आर 

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